Thursday, March 18, 2010

मुझसे भी हसीन यहाँ पर कैसे !!

देख जरा वो फिर शरमायी ,
झुका के नज़रें यू मुस्कायी !
ठहर सी गयी दुनिया सारी ,
परियां भी देखने नभ से आयी !!

जैसे उसने नज़र उठायी ,
खुबसुरती की जाम छलकायी !
हो गये इक्कट्ठे तारे सारे ,
जुल्फें जैसे उसने फैलायी !!

परियां भी लगी है जलने उससे ,
मुझसे भी हसीन यहाँ पर कैसे !
हैं
जालिम उनकी हर एक अदायें ,
जो पूरी दुनिया को है भाये !!

नखरें उसकी शरारत जैसी ,
प्यार उसका पानी जैसा !
बातें उसकी शक्कर जैसी ,
करती वो प्यार मुझसे ऐसा !!

प्रशांत"पिक्कू"
18th March 2010
00:39 AM

Monday, March 15, 2010

और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!

क्यूँ किया तुने ,प्यार मुझसे इतना ,
कोई ना करे ,किसी से भी ,कभी जितना !
जन्नत बना दिया है मेरी जिन्दगी को तू ,
हो तू ही मेरी हकीकत , तू ही हो अपना !!

ख्वाहिशे हैं लोगों की , फिर सुबह कब हो ,
अगर हो साथ हरदम तेरा , तो है ये मेरा कहना !
बीत ना जाये ये पल , छुट ना जाये ये सपना ,
और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!

रात की अंधेरों में भी दिखे तूं ,
इसमें भी चमकती है तेरे नयना !
चाँद भी छुपके बादलों में शर्मा जाये ,
जब मटकाती हो तुम अपनी नयना !!

कैसे बच पायेगा ये प्यार , उन बुरी निगाहों से ,
अगर बीत जाएगी ये रातें !
होगी इस पर फिर इर्श्याओं की बरसात ,
डगमगा जाएगी फिर ये प्यार की बातें !!

प्रशांत"पिक्कू"
१६थ मार्च २०१०
०१:०२ ऍम

Friday, March 12, 2010

ये दुनिया बड़ी निराली है !

कितनी प्यारी है ये दुनिया ,
ये दुनिया बड़ी निराली है !
य़ू तो था मैं पिछले जनम भी,
क्यूँ लगे इस बार ,कितनी खुशहाली है !!

ना है इर्ष्या , ना है द्वेष ,
कहाँ गये वो भाव भेद !
कितने खुश हैं लोग यहाँ के ,
है सबका बस एक भेष !!

मेरा भी दिल कहता यही है ,
कि छोड़ दू उन करतूतों को !
अपना लूं बस आदत ऐसी ,
जो भुला दे बस , भेद - भाव , राग -द्वेष की भूतों को !!

आओ मिलकर हम सभी ,
यही मार्ग अपनाते हैं !
थे द्वेष जो करते, उस जनम में हम ,
आओ साथ मिलकर, उसे अब भुलाते हैं !!

प्रशांत "पिक्कू"
13/03/2010
00:48 am