था जाता भूल ,सब दर्द अपना,
जब सामने तुम सब आते थे !
नही बता सकता उन जज्बातों को मैं ,
साथ साथ जब हम सब होते थे !!
याद आएगी बहुत ही हमको ,
हमको बहुत रुलाएगी !
साथ जो तेरा छुट रहा है ,
पता नही ,कितना सताएगी !!
मिलके बिछुड़ना है दस्तूर दुनिया का ,
पर इस दस्तूर की भी बात निराली है !
क्यूँ हो रहा है बिछुरन उन फूलों से ,
जो फुलवारी हमारी सबसे प्यारी है !!
कुछ भी कह दूँ आप सबों को ,
पर वो आधी - अधूरी है !
बस गये हो दिल में आप इस कदर ,
आपको याद करना , साँसों की तरह जरुरी है !!
प्रशांत"पिक्कू"
21 Nov 2009
10:00 pm