Monday, May 18, 2009

यूँ ही गर मैं इनमे खो जाऊं !

एक दर्द सी उठी है सीने में ,
बड़ा ही मज़ा है अब जीने में !
डूब गए हैं अब प्यार में दोनों ,
पता नहीं ,क्या समय लगेगा एक होने में !!

अब ना सही जायेगी ये दूरियां ,
दिल कहे दोनों के की ,तोड़ दूं ये बेडियाँ !
छोड़ दूं सारे बंधन को ,दोनों ,
आ जाऊं पास, चाहे हो कोई मजबूरियां !!

कब तक दूर से दिदार करूँ मैं इनका ,
या फिर उठा के इन्हें, मैं ले आऊं !
पता नहीं दुनिया वाले क्या सोचेंगे ,
यूँ ही गर मैं इनमे खो जाऊं !!

प्यार करा है उनको मैंने ,
दुनिया की रीतों से बढ़कर !
नज़र उठे तो उन्हें ही देखूं ,
सामने आती वो सज धजकर !!

प्यारी सी मेरी मेहबूबा है वो
दिलो जां से मुझे प्यार करती है !
स्वच्छ ,शुद्ध ,पवित्र है चरित्र उनका ,
प्यार से "जानू" मुझे वो कहती है !!

प्रशांत"पिक्कू"
19th May 2009
10:00 AM

मामला ये है कि वो इश्कबाज है !

इश्क करना गुनाह नहीं ,
इसको बदनाम करना गुनाह है !
इश्क में खो जाओ, तो कोई कोई बात नहीं,
इश्क को खो दो ,फिर ये गुनाह है !!

गुनाह ये नहीं कि, वो इश्क किया,
मामला ये है कि वो इश्कबाज है !
ये इश्क भी बड़ी अजीब है यारों ,
कोई कहे वो अच्छा तो कोई कहे धोकेवाज है !!

हो गए बदनाम गर इश्क में ,
तो ये बड़ी बात है !
कर लिया इश्क ,गर छुप छुप के ,
तो ये भी कोई बात है !!

छुपाना इश्क को दुनिया से ,
ये भी एक गुनाह है !
पा लो अपने इश्क को दुनिया कि भीड़ से ,
तो फिर देखो ,क्या बात है !!

प्रशांत "पिक्कू"
18th May 2009
08:30 PM

चाहत है ,उस ऊँचाई को पाने की !

चाहत है ,उस ऊँचाई को पाने की ,
दुनिया से दो कदम आगे बढ़ जाने की !
क्या किया !अगर इस दुनिया के साथ रहा ,
सोच है मेरी एक नयी दुनिया बसाने की !!

दिल के हो हौसले बुलंद ,
तो सभी दरवाजे खुल जाते हैं !
हो जूनून पाने का कुछ तो ,
सुना है ,सारे ताले टूट जाते हैं !!

क्यूँ ना तोड़ दूं ,इन ताले को ,
जो मुझे आगे बढ़ने से रोक रहा है !
तोड़ के ताले ,निकलूँ सबसे आगे ,
कब से ये मेरा मन कह रहा है !!

भरोसा है मुझको मुझ पर ,
मैं आकाश की ऊंचाई को भी छू जाऊँगा !
थोड़ा साथ दे अगर दुनिया मुझको ,
मैं बहुत ही आगे निकल जाऊँगा !!

प्रशांत "पिक्कू"
11th May 2009
10:32 PM

और पायी है चाहत उनकी !

ना तो उनकी सुरत देखी ,
ना ही देखी शिहरत उनकी !
देखा है उनको ख्वाबों में ,
और पायी है चाहत उनकी !!

ख्वाबों में ही एक चेहरा ,
वर्षों से ही घुम रहा है !
पता नहीं उसी का सपना ,
मुझे हर एक पल क्यूँ दिख रहा है !!

सुना है ,अक्सर सपना भी सच हुआ है ,
पर मेरे साथ क्यूँ न अब तक हुआ है !
प्यार करना सपने में मज़ा दे जाती है ,
प्यार करना सपने से सजा दे जाती है !!

जो भी हो ,पर आँखे हर पल ,
उन्ही का सपना दिखाता है !
दुनिया वालों अगर दुआ करोगे .
मेरा भी सपना सच हो सकता है !!

प्रशांत"पिक्कू"
11th May 2009
10:19 PM

Monday, May 11, 2009

माँ ! एक शब्द ,एक नाम ,एक स्वरुप ,एक काया !

माँ ! एक शब्द ,एक नाम ,
एक स्वरुप ,एक काया !
दुनिया में बस ,वहां ही पाई ,
इतनी करुणामयी छाया !!

सोचो उस माँ को ,जिसने तुझे जन्म दिया है ,
बस प्यार किया है और तेरे ही संग जिया है !
उसकी तो हर सांस ,धड़कन तुम्हारे लिए है ,
कर दिखाओ कुछ ऐसा की लगे वो उनके लिये है !!

सोचो उन अपमानों को जो दिया है जग ने ,
गलत किया है तुने पर भुगता है उन्होंने !
फिर भी ,तुझको ही देखकर मुस्काती है वो ,
बढ़ जाओ हद से आगे तो फिर समझाती है वो !!

इन करुणामयी माँ को अर्पण क्या कर पाओगे ,
यदि सोचोगे इन बातों को तो निश्चय ही दे पाओगे !
एग्जाम में आये अच्छे अंको का एहसास दिला दो ,
और स्वस्थ परिवेश निर्माण का प्रयास दिखा दो !!

बेटा ,ऐसा कुछ भी न करना ,
जिससे इज्जत कम हो सकता है !
पढाई लिखाई कर आगे बढ़ना ,
जिससे मेरी आत्मा को ख़ुशी हो सकता है !!

अमिताभ कुमार लाल दास
10th May2009
10:05 PM

नज़र नहीं हटती उस बला से !

आँखों की गुस्ताखी है ये ,
या दिल का आवारापन है !
नज़र नहीं हटती उस बला से ,
पता नहीं ये कैसा दीवानापन है !!

उनके नैनों की गहराई में भी ,
डूबना उतना आसान नहीं !
अगर डूब गए एक बार ,
तो फिर बचना भी आसान नहीं !!

आसान को अंजाम देना ,
मेरा भी ये शौक नहीं !
मुश्किलों से छुपना मेरा ,
कभी से ये काम नहीं !!

पता नहीं क्या हुआ ,इस दिल को ,
कब से यूँ कुछ बेचैन है !
शायद वो आ रही है करीब मेरे ,
आसमां ने दिया ये पैगाम है !!

प्रशांत"पिक्कू"
06th May2009
03:58 PM

पता नहीं ,इस हमदर्दी को ,मैं क्या ऐसा नाम दूं !

पता नहीं ,इस हमदर्दी को ,
मैं क्या ऐसा नाम दूं !
वो ही तो है हमदर्द मेरा ,
नहीं लगता ,कहाँ तक उनका साथ दूं !!

नहीं जानता ,ये भी मैं की ,
कैसे वो मेरे हमदर्द बने !
मिले एक दिन बस यूँ ही ,
और क्या पता ,कैसे ये दर्द मिले !!

पहली बार जब देखा उनको ,
दिल में मेरे ,एक कसक उठी !
बढा दिया हाथ मैंने दोस्ती का ,
फिर जिन्दगी सुगंधों से महक उठी !!

अभी का हाल बुरा है मेरा ,
जी नहीं बिलकुल लगता है !
यूँ तो साथ है प्यार मेरा ,
पर दुनिया से डर लगता है !!

प्रशांत "पिक्कू"
06th May2009
06:50 PM

संभाल के रखना मेरे दिल को !

ये नाराज़गी है यूँ कुछ ,
या फिर यूँ ही रुसवाई है !
पता नहीं ये नफरत है मुझसे ,
या फिर यूँ ही इसने बताई है !!

पहले तो दीदार बिना दिन ना होता था ,
पता नहीं अब क्यूँ ना ये होता है !
अब आते हैं सामने जैसे ,
उनका चेहरा दुपट्टे से ढँक जाता है !!

वजह क्या है, इस नफरत का ,
क्यूँ इसको तुने जन्म दिया !
कर दिया तहस नहस मेरे अरमानो का,
बता !ऐसा क्या बात हुआ !!

कब तक नफरत रहेगा दिल में ,
ये तूं ,मुझको बतलाती जा !
संभाल के रखना मेरे दिल को ,
अपना दिल भी तूं लेती जा !!

प्रशांत"पिक्कू"
08th May 2009
09:35 PM

इन्तेज़ार का ये दर्द दिला दो !

इन्तेज़ार करके है मैंने देखा ,
ये एक बहुत बड़ी सजा है !
करना पड़े तो पता चलेगा ,
करवाओ तो ये देती मज़ा है !!

इन्तेज़ार के फल को देखो ,
अगर सफल हो जाता है !
करते रहो फिर इन्तेज़ार उम्र भर ,
जब तक वो साथ न आता है !!

उसको भी ये एहसास करा दो ,
इन्तेज़ार का ये दर्द दिला दो !
जब वो पास आ जाये तो ,
उसे भी प्यार का रस पिला दो !!

देखो किसका इन्तेज़ार करना ,
कब तक ये जरुरी है !
समझ जाओगे खुद ही कुछ क्षण में ,
क्या ये इनके लिए जरुरी है !!

प्रशांत"पिक्कू"
07th May 2009
2:59 PM

कभी बैठो, अकेले तुम तो !

अजीब दास्तान है, अकेलापन का ,
साथ ये सबके आ जाता है !
कभी देता ख़ुशी यूँ ही ,
कभी नाराज कर जाता है !!

कभी बैठो, अकेले तुम तो ,
हसीन दुनिया दिखाता है !
कभी गिराकर सोच को इतना ,
नर्क में ये ले जाता है !!

अकेले जब भी अब मैं बैठूं ,
अकेलापन बहुत ही सताता है !
सोचूं उन बीते क्षणों को ,
जो दोस्तों के संग बीत जाता है !!

पता नहीं कब छोडेगी दामन,
या फिर यूँ ही साथ रहेगी !
मुझे तो लगता छोड़ दूं दुनिया ,
अगर ये मेरे साथ रहेगी !!

प्रशांत "पिक्कू"
8th May2009
09:47 PM

बड़ी अजीब सी ये उलझन है मेरा !

बड़ी अजीब सी ये उलझन है मेरा ,
लोग पूछते हैं की, कैसा मन है मेरा !
मैं क्या बताऊँ ,अपने बारे में ,
की हर पल बदलता कैसे, ये मन है मेरा !!

सुप्रीमो हैं भगवान मेरे ,
मम्मी पापा का मैं पुजारी हूँ !
करता हूँ मेहनत कम ,
पर सोंचू ,अच्छे भविष्य का अधिकारी हूँ !!

दोस्ती हमारी जान है ,
जिसे दिया मैंने एक नाम है !
साथ हैं ,तो सब कुछ हसीं है ,
नहीं हैं ,तो जिन्दगी बेनाम है !!

यूँ तो मैं हूँ दरभंगा, बिहार से ,
पर संगरूर, पंजाब में रहता हूँ !
करने के लिए तो b.tech कर रहा हूँ ,
पर दोस्तों के दिल में रहता हूँ !!

प्रशांत "पिक्कू"
09th may 2009
11:00PM

Friday, May 8, 2009

खेल को भी खेल के देखो !

खेल को भी खेल के देखो ,
दुनिया में कई खेल होता है !
खेल को अगर ,खेल लिया ,
तो खेल भी ,कोई खेल होता है !!

पलटो पन्ने उतने खेल के ,
जिनको तुने खेल लिया !
देखो कितने में जीत हुयी ,
और कितने को तुने खेल लिया !!

कब तक ऐसे खेलना है ,
जिसका ना ही कोई ठिकाना है !
अब खेलो कुछ ऐसा खेल ,
जिसमे लगे मुझे जीत जाना है !!

जीतने की यूँ तमन्ना हो तो ,
खेल भी आसान हो जाते हैं !
खेल के देखो कुछ ऐसा खेल ,
जिससे जीवन सफल हो जाते हैं !!

प्रशांत"पिक्कू"
05th May 2009
09:24 AM

क्या है तेरी मर्ज़ी बता ,क्यूँ तुने ये बवाल किया !

उनके साँसों की गर्माहट ने , मुझसे ये प्रश्न किया ,
जब आया , मेरे आगोशों में , तुने कैसा जश्न किया !
उनके बातों के जादू ने ,मुझपे ऐसा वार किया ,
मैं दे बैठा तन मन उनको,और सदा ही उनसे प्यार किया !!

जब भी खोया उनके जुल्फों में खोया ,
नशे में भी डूब गया जब उनके नजरों ने पिलाया !
उनके होठों के हया से ,यूँ मैं ऐसे चुर हुआ ,
देखी शिहरत उनकी जैसे ,मुझको खुद पे गुरुर हुआ !!

हया में डूबी महबूबा ने ,मुझसे ये सवाल किया ,
क्या है तेरी मर्ज़ी बता ,क्यूँ तुने ये बवाल किया !
मैं भी ना रह सकती तुझ बिन ,तुने ऐसा हाल किया ,
वार दूं सब कुछ तुझपे यूँ ही ,तुने ऐसा प्यार दिया !!

प्रशांत"पिक्कू"
04th May 2009
10:40 PM

कहाँ हो तुम, इन हसीन मौसम में !

उन हवा के शीतलता में ,
तेरी ही खुशबू महक रही थी !
तुम थी ,बैठी वहां पर लेकिन ,
तेरी दिल यहाँ ही धड़क रही थी !!

मैं साथ था किसी के ,इस मौसम में ,
लेकिन दिल तेरी याद में खोयी थी !
मैं खो गया था ,उन यादों के खुशबू में,
जो मैंने बरसों से संजोयी थी !!

कहाँ हो तुम, इन हसीन मौसम में ,
साथ वालों ने, यूँ पूछ लिया था !
मेरी जुबां ने, हकीकत यूँ बयां कर दी ,
और तेरा ठिकाना मैंने बोल दिया था !!

इन सुहाने मौसम में साथ सबों के ,
तेरी बहुत ही कमी, मुझे सताई थी !
यूँ तो था मैं भीड़ में लेकिन ,
वहां मैं ,और तेरी परछाई थी !!

प्रशांत "पिक्कू"
04th May 2009
09:30 PM

ये मासूमियत ,कुछ अजीब है उनकी!

पता नहीं ये सादगी कैसी ,
जो मुझे ,उनमे दिखता है !
ये मासूमियत, कुछ अजीब है उनकी ,
जो हमेशा उनकी ओर खिंचता है !!

आज तक मैंने जितना देखा ,
सब उनके सामने फीका है !
पता नहीं ,ऐसा क्यूँ लगता है ,
उनके बाद ,सारी दुनिया तीखा है !!

उनकी तारीफों में कुछ भी कहना ,
मुझे ये लगता बहुत ही कम है !
अब वो दूर ,जा रहें है मुझसे ,
मुझे सताता ,इसी बात का गम है !!

सामने लाओ इनके चेहरे को तो ,
संस्कारों का भाव दिखता है !
ये मासूमियत कुछ अजीब है उनकी ,
जो हमेशा अपनी ओर खिंचता है !!

प्रशांत "पिक्कू"
03rd May 2009
0959 PM

ये भी ऐसा प्यार है यारों !

ये भी ऐसा प्यार है यारों ,
जो तौलते हैं खुद को तराजू पर !
एक तरफ है घर अपना यारों ,
अपना प्यार है ,दूजे पलडे पर !!

पता नहीं इस असमंजस में ,
मैं क्या क्या कर जाऊंगा !
अगर वो मुझको नहीं मिली ,
तो मैं किसी का नहीं हो पाउँगा !!

डर नहीं मुझे खुद से इतना ,
जितना दुनिया मुझे डराती है !
क्या कहुं इस जिन्दगी का ,
पता नहीं ये ,क्या सब करवाती है !!

कब तक दूर रहूँगा उससे ,
या जल्द ही मैं मिल जाऊंगा !
अगर वो मुझको मिल जाये ,
तो मैं फिर से ही खिल जाऊंगा !!

प्रशांत "पिक्कू"
03rd May 2009
09:21 PM

Saturday, May 2, 2009

छुपके यूँ ही प्यार ये करता !

छुपके यूँ ही प्यार ये करता ,
खुद से ही ये डरता है !
नज़र न लग जाये उसे किसी की ,
दुनिया से ये कहता है !!

बन्दा है ये बलबान दिलों का ,
काम भी कुछ ऐसा करता है !
पैसे की उसको फिकर नहीं है ,
जो जी चाहे ,वो ही करता है !!

बाप का एकलौता ,मम्मी का प्यारा ,
वो घर में सबका दुलारा है !
दोस्ती में भी पैठ है उसकी ,
दोस्तों का भी वो न्यारा है !!

उसको ,इसकी गम नही है ,
कौन ,क्या कह जायेगा !
करता है वो दिल की बातें ,
पता नही क्या हो जायेगा !!

प्रशांत "पिक्कू"
2nd may2009
09:48 PM

आतंकवाद का हाल ये देखो !

आतंकवाद का हाल ये देखो ,
किस तरह यूँ फ़ैल रहे हैं !
अच्छे , बुरे में भेद ना समझे ,
सबको ये बिगाड़ रहे हैं !!

क्या बेरोजगारी का बढ़ना ही ,
आतंकवाद का जन्मदाता है !
कब तक झेलेगी दुनिया इसको ,
क्या जब तक यह पृथ्वी माता है !!

बेरोजगारी को है ,गर दूर करना ,
तो शिक्षा को बढ़ाना होगा !
करना होगा कुछ ऐसा ,
जनसँख्या को घटाना होगा !!

कब तक गम झेलेगी ये दुनिया ,
इस आतंकवाद के बुरे लहर से !
एक साथ ना होंगे ,हम जब तक ,
ना बच पायेगी ये ,इसके कहर से !!

प्रशांत "पिक्कू"
2nd may 2009
10:00PM

पर्यावरण की नजाकत को देखो !

पर्यावरण की नजाकत को देखो ,
क्या हसीन दुनिया है इनकी !
कभी जहाँ पर पेड़ भी ना थे ,
आज वहां फुलवारी है इनकी !!

दिल की आँखे खोल के देखो ,
इन बागों की हरियाली को !
कभी नृत्य कला, इनकी देखो ,
और ले आओ खुशिहाली को !!

दुनिया की सारी खुशियाँ ,
इनमे ही समायी है !
दूर रहकर ,तुने इनसे ,
अपना व्यर्थ समय ही गंवाई है !!

बाग बचाना ,कर्त्तव्य है हमारा ,
बागों के हम रखवाले हैं !
बाग़ है मेरी ,हम सबकी ,
हम बागों को चाहने वाले हैं !!

प्रशांत "पिक्कू"
2nd April 2009
01:08 AM

कर दे यूँ कुछ जादू ऐसा !

कब तक तेरी बातें मानू,
कब तक तेरा ऐतबार करूँ !
कब तक जानू , तुझको ऐसे ,
बोल , मैं भी तुझसे प्यार करूँ !!

प्यार का मीठा एहसास दिला दे ,
या अब मुझको , तूं जहर पिला दे !
कर सकती नहीं प्यार अगर तो ,
जहाँ दिल लग जाये वो जगह दिला दे !!

जाना नहीं है , दूर अब तुझसे ,
जलती है अब दुनिया मुझसे !
मैं भी ऐसा प्यार करूँगा ,
जानेगी ये अब दुनिया मुझसे !!

कब तक झूठी ताने सुनूंगा ,
इसको तूं हकीकत बना दे !
कर दे यूँ कुछ जादू ऐसा ,
जग को प्रीत की नयीं दास्ताँ सुना दे !!

प्रशांत "पिक्कू"
2nd May 2009
00:26 AM

इन्टरनल ठीक से लगाती नही कॉलेज !

गर्मी के मौसम में ,ये गरमा गरम परिणाम ,
पी.टी.यु. ने किया इस मौसम में जीना हराम !
इन सप्लियों के साथ पता नहीं कब तक रहना है ,
अगले सेमेस्टर के परिणाम का बेसब्री से इंतेज़ार करना है !!

रिजल्ट अच्छा हो ,या हो बुरा ,
सभी परेशान हो जाते हैं !
क्यूंकि रिजल्ट की ख़ुशी हुयी नहीं की ,
अगला इग्जाम सामने आ जाते हैं !!

पता नहीं क्या सोचेगी ये दुनिया ,
मुझमे ही कई खामियां हैं !
इन्टरनल ठीक से लगाती नही कॉलेज ,
और कहती मुझमे ही कई कमियां हैं !!

रिजल्ट तो अच्छा आ गया है ,
फिर भी मैं पछताता हूँ !
नौकरी ढूंढने जहाँ भी जाता ,
वापस फिर से भगा दिया जाता हूँ !!

प्रशांत "पीक्कू"
1st May 2009
03:15 PM

गम को कह दो बाय बाय !

अपने गम को भुलाकर ,हंस के देख तो जरा ,
अगर जिन्दगी जीने का सच्ची मज़ा न आये तो बताना !
कब तक यूँ ही गम में रोते रहोगे ,
क्या जब तक ये गम देगी जमाना !!

गम देना भी ज़माने का फितरत रहा है ,
इससे दूर नहीं तो ,पास भी ना आना है !
फिर भी गम ने साथ न छोड़ने का वादा किया है ,
तो फिर यूँ ही हंसते हुए ,उनका वादा निभाना है !!

गम को दिखाओ अपने ताकत का अंदाजा ,
की दुनिया का गम बड़ा, या मैं बड़ा !
तेरे हंसी के आगे घुटना टेक कर ,
गम खुद कहेगा ,यार तूं बड़ा !!

फिर गम न फटकेगा तेरे पास ,
जब तक यह जीवन है तेरा !
गम को कह दो बाय बाय ,
फिर देखो , कैसा है जिन्दगी तेरा !!
प्रशांत "पिक्कू"
30th April 2009
00:30 AM

और तूं कहती, यह बदल गया !

उन्हें शिकवा है की मैं बदल गया ,
जो पहले था ,वो अब न रह गया !
अरे , मैं नही ये संसार है बदला ,
जरा पास तो आके देख, मैं हूँ कितना बदला !!

सब कुछ वही है ,सिर्फ तेरा सोच है बदला,
कल तक साथ थे , अब हूँ मैं अकेला !
जरा अपने सोच में परिवर्तन तो ला मेरे हमसफ़र ,
और देख कितनी तूं बदली और कितना मैं बदला !!

कब तक यूँ ही जीता रहूँ मैं ,
तेरे वापिस आने के ख्याल में !
जल्दी आ , अब देर न कर ,
मैं तो फंस गया हूँ तेरे जाल में !!

कब तक दुनिया की बातों पे ,
मैं इतना यकीन करूँ !
कहती दुनिया प्रेमी पगला ,
और तूं कहती ,यह बदल गया !!
प्रशांत"पिक्कू"
30th April 2009
04:05 PM

Friday, May 1, 2009

वो रैगिंग ही तो होता है !

किस तरह यूँ डरा रहा है,
मुझे अभी से रैगिंग का भुत !
क्या हसर होगा मेरा ,
जब seniors दिखायेंगे अपना करतूत !!
इनके करतूतों को देखकर ,
मेरा अभी से बुरा हाल है !
लेकिन seniors हमेशा पूछते हैं ,
क्या बच्चू ,अब क्या ख्याल है !!
introduction तो सिर्फ नाम है ,
वो रैगिंग ही तो होता है !
seniors हंसते खिल्ली उडाते हैं ,
और मेरा दिल जोर जोर से रोता है !!
पर मैं क्यूँ चुप बैठूं ,
मैं भी एक दिन senior होता हूँ !
रैगिंग रोकने के बजाय ,
मैं भी juniors को डराता हूँ !!
क्या , मेरा ऐसा करना जायज है ,
मुझे तो हमेशा लगता की ये नाजायज है !
अगर डर मिटाना है ,तो इसे रोकना होगा ,
और साथ मिलकर इस भूत को भगाना होगा !!
प्रशांत "पिक्कू"
29th April 2009
10:20 PM