Wednesday, April 29, 2009

इन गर्म हवा के झोंको ने !

इन गर्म हवा के झोंको ने ,
मेरा जीना दुशवार किया !
कर दिया तहस नहस मेरे फैशन को ,
मेरे पे ऐसा वार किया !!

क्या करूँ , नहीं बचा सकता मैं खुद को ,
इन गर्म हवा के झोंको से !
मैं तो चुप हो बैठ जाऊं ,
पर पेट को कैसे बचाऊँ भूखों से !!

इन हवाओं में निकलना मेरी मजबूरी है ,
दिल के न कहने के बाद भी ये जरुरी है !
बहुत सारे तरीके हैं इस दुनिया में ,
लेकिन इनसे नहीं बच पाना मेरी मजबूरी है !!

कब तक झेलूँगा मैं इसको ,
क्या , जब तक है जीवन मेरा !
कितना कोशिश किया है मैंने ,
नहीं बच सकता इससे दामन मेरा !!

प्रशांत "पिक्कू"
29th April 2009
2:25 PM

दिल कहेगा बस डूब जाऊं !

प्यार का कोई धर्म नहीं ,
न इसका कोई किनारा है !
इक बार अगर डूब गए इसमें ,
तो बस बहते ही जाना है !!
कौन जानेगा इन बातों को ,
कब तक इनकी बात करूँ !
जब भी जानोगे गहराई इनकी,
दिल कहेगा बस डूब जाऊं !!
मैंने भी तो प्यार किया है ,
लेकिन साडी दुनिया से छुप के !
पता नही ,ये प्यार है कैसा ,
जिसमे बातें हो चुप चुप के !!
जी करता की छोड़ दूं दुनिया ,
उन्मुक्त हो जाऊं ,इनके बंधन से !
डूब जाऊं इनकी प्यार में बस ,
हो जाऊं इनकी , तन मन से !!
प्रशांत "पिक्कू"
29th April 2009
12:15 PM

फिर क्यूँ मैं जाऊं भीड़ में !

यूँ तो मैंने सोच लिया ,
मुझको क्या क्या करना है !
छोड़ के साडी दुनिया पीछे ,
मुझको आगे निकलना है !!
कब तक पीछा करूँ मैं इनका ,
अब नहीं ये सब भाता है !
जाऊं दूर बहुत ही आगे ,
दिल भी यही अब कहता है !!
क्या करूँ मैं ,किनसे कहूँ मैं ,
कब तक दुनिया कि ताने सुनता रहूँ !
मैं भी चाहूँ , आगे आऊँ ,
कब तक इनकी बेडियों से बंधा रहूँ !!
कैसे बताऊँ मेरी हालत ,
क्या है दुनिया कि भीड़ में !
जहाँ भी जाऊं ठोकरें खाऊँ ,
फिर क्यूँ मैं जाऊं भीड़ में !!
प्रशांत "पिक्कू"
29th April 2009
12:01 PM

क्या करूँ ऐ जिन्दगी ,तूं ही बता इस प्यार का !

जिन्दगी से भी प्यारा था वो मेरा ,
जिसे मैंने भुलाने की ठानी है !
पता नही यह हकीकत है ,
या मेरे दिल की मनमानी है !!
क्या करूँ ऐ जिन्दगी ,
तूं ही बता इस प्यार का !
दुनिया के साथ चलूँ या ,
फिर हो जाऊं अपने प्यार का !!
दिल कह रहा है साथ दूं अपने प्यार का ,
दिमाग ,दुनिया की पाठ पढाता है !
कोई कहता है यूँ ही जी लो जिन्दगी को ,
कभी कुछ नहीं साथ देता है !!
मगर मैं क्या करूँ ,अपने आप को ,
मैं तो प्यार का पुजारी हूँ !
कब तक कोसुं अपने भाग्य को ,
कि मैं अपने प्यार को पाने का अधिकारी हूँ !!
प्रशांत"पिक्कू"
29th April 2009
00:25AM

Tuesday, April 28, 2009

उनका भी सपना है अपना ,सपने में खो जाने दो !

तुने मुझसे यूँ कहा , अपने अन्दर झांक लो ,


झांक लो अपने खामियों को , और बेबश परेशानियों को !


कब तक ऐसे झाकुंगा मैं ,सिर्फ अपने ही अन्दर की बातों को ,


कभी मिले फुर्सत तो , आओ साथ बैठें , और समझे दिल की बातों को !!


दिल का कहना मानो तुम ,लब की खामोशी को बुन कर ,


कह डालो वो सारी बातें , जो है दिल में चुन चुन कर !


तेरा क्या कहना !तुम क्या जानोगी मेरे दिल की खामोशी को ,


आओ साथ चलें कुछ पल ,और जाने दुनिया के आगोशी को !!


समय बीत गया कुछ ऐसे ,अपने थे वो सपने हुये ,


और जो अब है सामने आया ,साथ में जीने दो उनको !!


उनका भी सपना है अपना,सपने में खो जाने दो ,


अपना सपना ,सपना हुआ ! उनके सपने को सच हो जाने दो !


फिर देखो ! किसी का सपना ,अगर दिल से पूरा हुआ ,


तो रह जाने दो इन खामोशी को ,और इन बातों को अधुरा हुआ !!
प्रशांत "पिक्कू"
28th April 2009
10:30 AM

ये तो अपना दर्द है यारों !

ये तो अपना दर्द है यारों ,
इससे कब तक बच पाओगे !
प्यार किया है ,दर्द लिया है ,
इसमें ही घिर जाओगे !!
प्यार करना आसान नही है ,
फिर जो करके, पछताओगे !
सारी दुनिया की नज़रों में ,खुद से ही गिर जाओगे !!
प्यार करना जुर्म नही , संघर्षों का छुअन है ,
प्यार करोगे फिर समझोगे , जिन्दगी कितनी सुन्दर है !!
प्रशांत "पिक्कू"
28th april 2009