Monday, March 15, 2010

और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!

क्यूँ किया तुने ,प्यार मुझसे इतना ,
कोई ना करे ,किसी से भी ,कभी जितना !
जन्नत बना दिया है मेरी जिन्दगी को तू ,
हो तू ही मेरी हकीकत , तू ही हो अपना !!

ख्वाहिशे हैं लोगों की , फिर सुबह कब हो ,
अगर हो साथ हरदम तेरा , तो है ये मेरा कहना !
बीत ना जाये ये पल , छुट ना जाये ये सपना ,
और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!

रात की अंधेरों में भी दिखे तूं ,
इसमें भी चमकती है तेरे नयना !
चाँद भी छुपके बादलों में शर्मा जाये ,
जब मटकाती हो तुम अपनी नयना !!

कैसे बच पायेगा ये प्यार , उन बुरी निगाहों से ,
अगर बीत जाएगी ये रातें !
होगी इस पर फिर इर्श्याओं की बरसात ,
डगमगा जाएगी फिर ये प्यार की बातें !!

प्रशांत"पिक्कू"
१६थ मार्च २०१०
०१:०२ ऍम

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