क्यूँ वो मेरे प्यार का इन्तहां ले लिया ,
ना जाने किस गुनाह का सजा खुदा मुझे दे दिया !
मेरी किस्मत में क्घुदा को वो मंजूर न था ,
फिर क्यूँ वो चेहरा मेरे इतने करीब ला दिया !!
किया है खुदा ने दूर मुझसे उसे इतना ,
कभी ना देख पाया था सपनो में भी जितना !
है धड़कने थमी सी , है दिल रोता हुआ सा ,
दिखती है मंजिल पर दीखते हैं पग कांपता हुआ सा !!
किस हाल में है वो ,खुदा की करतूत है ,
किया प्यार कितना मैं उससे वो खुदा ही सबूत है !
ना नजरे उठी किसी पे, जब तक उसपे नजरे टिकी रही ,
किया था प्यार इतना उससे ,की दुनिया देखती रही !!
नहीं है दीखता ये सच ,की वो सचमुच जा रहा है ,
मुझसे दूर मुझसे दूर मुझसे बहुत दूर जा रहा है !
है गुजारिश खुदा से रखना सलामत उसे ,
न लगे उसे कभी नजर दुनिया के किसी से !!
प्रशांत "पिक्कू"
२५/१०/२०१०
०१:०३ पम
Tuesday, September 21, 2010
Tuesday, May 4, 2010
क्यूँ अपने को बीमार वो ,मेरे लिए बना रही है !!
कितनी खुश है वो सिर्फ मेरे आने की खबर सुनकर ,
तन्हा सी बैठी थी एक अरसे से, जो बेजुबान बनकर !
कर रही थी इंतज़ार हमेशा जो बेसब्रों की तरह ,
आज बड़े दिनों के बाद आवाज में खनक थी दुल्हन की चूड़ियों की तरह !!
कितने अधूरे सपनो की गुत्थी वो सुलझा रही हैं ,
होंगे सपने सारे सच ये मानकर , वो दिल को मना रही है !
क्या होगा आगे उन सपनो की , जाने वो खुदा ,
क्यूँ अपने को बीमार वो ,मेरे लिए बना रही है !!
ना है कोई शक , हूँ मैं भी बीमार उनके लिए ही ,
क्यूँ नही मिलता फुर्सत, मुझे उनसे मिलने के लिये ही !
जाऊँगा पास जब लगने कलेजे से उनके ,
होगी मदहोश और फफक पड़ेंगी वो इस प्यार के लिये ही !!
उमड़ पड़ेगी प्यार की घटायें बादलों की तरह ,
सिचेंगी वो मुझे अपनी मुहब्बत की खुशबू से, मालियों की तरह !!
चहक उठेंगी चिड़िया और उठेंगे खिलखिला के ये धरती, ये आसमान ,
जब उमडेगा ये प्यार की लहर सागरों की तरह !!
प्रशांत"पिक्कू"
30/05/2010
00:13 AM
तन्हा सी बैठी थी एक अरसे से, जो बेजुबान बनकर !
कर रही थी इंतज़ार हमेशा जो बेसब्रों की तरह ,
आज बड़े दिनों के बाद आवाज में खनक थी दुल्हन की चूड़ियों की तरह !!
कितने अधूरे सपनो की गुत्थी वो सुलझा रही हैं ,
होंगे सपने सारे सच ये मानकर , वो दिल को मना रही है !
क्या होगा आगे उन सपनो की , जाने वो खुदा ,
क्यूँ अपने को बीमार वो ,मेरे लिए बना रही है !!
ना है कोई शक , हूँ मैं भी बीमार उनके लिए ही ,
क्यूँ नही मिलता फुर्सत, मुझे उनसे मिलने के लिये ही !
जाऊँगा पास जब लगने कलेजे से उनके ,
होगी मदहोश और फफक पड़ेंगी वो इस प्यार के लिये ही !!
उमड़ पड़ेगी प्यार की घटायें बादलों की तरह ,
सिचेंगी वो मुझे अपनी मुहब्बत की खुशबू से, मालियों की तरह !!
चहक उठेंगी चिड़िया और उठेंगे खिलखिला के ये धरती, ये आसमान ,
जब उमडेगा ये प्यार की लहर सागरों की तरह !!
प्रशांत"पिक्कू"
30/05/2010
00:13 AM
ले लेगी किस्मत करवट मेरा !!
कब तक ये बाते छुपाती रहोगी ,
ना दिल की बात मुझसे बताती रहोगी !
हो जाएगी मुश्किल बदलने में हालात ,
अगर इस कदर प्यार तुम जताती रहोगी !!
डरना भी क्या है इस दुनिया से ,
जब साथ मैं तेरे होता हूँ !
बिखेर दो बाते दिल की सारी ,
तेरे बातो को आज मैं समझता हूँ !!
मची है हलचल आज दिल में मेरे ,
पर इतनी तुम क्यूँ घबराती हो !
जब भी आती हो पास मेरे ,
तुम इतनी क्यूँ डर जाती हो !!
रख दूंगा दुनिया झुका के कदमो में तेरे ,
अगर एक बार तू हामी भर दे !
ले लेगी लिस्मत करवट मेरा ,
अगर प्यार तू मुझसे इस कदर कर ले !!
प्रशांत "पिक्कू"
28/05/2010
02:50 AM
ना दिल की बात मुझसे बताती रहोगी !
हो जाएगी मुश्किल बदलने में हालात ,
अगर इस कदर प्यार तुम जताती रहोगी !!
डरना भी क्या है इस दुनिया से ,
जब साथ मैं तेरे होता हूँ !
बिखेर दो बाते दिल की सारी ,
तेरे बातो को आज मैं समझता हूँ !!
मची है हलचल आज दिल में मेरे ,
पर इतनी तुम क्यूँ घबराती हो !
जब भी आती हो पास मेरे ,
तुम इतनी क्यूँ डर जाती हो !!
रख दूंगा दुनिया झुका के कदमो में तेरे ,
अगर एक बार तू हामी भर दे !
ले लेगी लिस्मत करवट मेरा ,
अगर प्यार तू मुझसे इस कदर कर ले !!
प्रशांत "पिक्कू"
28/05/2010
02:50 AM
Tuesday, April 20, 2010
क्यूँ कहती हो अभी से, भुला दो हमें !!
तेरी यादों का जो ये सिलसिला रहेगा ,
चेहरा होगा सामने तो दिल ये खिला रहेगा !
क्यूँ कहती हो अभी से, भुला दो हमें ,
क्या कभी सोचा , बाद उसके हमारा ,फिर बचा क्या रहेगा !!
जाऊंगा जब भी इस महफ़िल से होकर ,
हमेशा ये यादों का समां सा रहेगा !
अगर भुला दोगी मुझे इस कदर ,
बताओ जवाब तेरा ,इस दुनिया के लिए ,फिर कैसा रहेगा !!
काँप उठेगी तुम्हारी ये जुबां ,
जब जब करोगी प्यार की ये दास्ताँ बयां !
रुक रुक कर आयेगी याद सारे वो लम्हे ,
कभी फुरसत से मिले थे हम तुम जहाँ !!
जहाँ भी जाओगी हम साथ ही मिलेंगे ,
फूलों की हो भंवरा जैसे, लिपटे रहेंगे !
कोशिश ना करना ,हटने की पीछे ,
जब जब तुम्हारा आसरा हम चाहेंगे !!
प्रशांत"पिक्कू"
02:38 AM
16th APRIL 2010
चेहरा होगा सामने तो दिल ये खिला रहेगा !
क्यूँ कहती हो अभी से, भुला दो हमें ,
क्या कभी सोचा , बाद उसके हमारा ,फिर बचा क्या रहेगा !!
जाऊंगा जब भी इस महफ़िल से होकर ,
हमेशा ये यादों का समां सा रहेगा !
अगर भुला दोगी मुझे इस कदर ,
बताओ जवाब तेरा ,इस दुनिया के लिए ,फिर कैसा रहेगा !!
काँप उठेगी तुम्हारी ये जुबां ,
जब जब करोगी प्यार की ये दास्ताँ बयां !
रुक रुक कर आयेगी याद सारे वो लम्हे ,
कभी फुरसत से मिले थे हम तुम जहाँ !!
जहाँ भी जाओगी हम साथ ही मिलेंगे ,
फूलों की हो भंवरा जैसे, लिपटे रहेंगे !
कोशिश ना करना ,हटने की पीछे ,
जब जब तुम्हारा आसरा हम चाहेंगे !!
प्रशांत"पिक्कू"
02:38 AM
16th APRIL 2010
Friday, April 2, 2010
खुदा भी रहता हैरत में ,जब मंदिर से तुम गुजरती हो !!
यूँ जो सज संवर के मेरे सामने आती हो ,
हो जाता हूँ मदहोश ,और मुझे तुम लुभाती हो !
कर देती हो कत्ल मेरा ,जब जुल्फे तुम लहराती हो ,
खोया सा रहता हूँ तेरी यादों में ,जब ओझल से तुम रहती हो !!
हो जाता हूँ बेजुबान मैं ,जब नकाब तुम हटाती हो ,
क्या बताऊँ क्या होता है हाल मेरा ,जब तुम हौले से मुस्काती हो !
ठुमक ठुमक के चलती हो जब , दुनिया को भी मचलाती हो ,
खुदा भी रहता हैरत में ,जब मंदिर से तुम गुजरती हो !!
खो जाता हूँ बेहशत मे मैं भी, जब हुस्न तुम दिखलाती हो ,
लाखों बनते दीवाने तेरे , जब नयनों की वार तुम चलाती हो !
हो जाते हैं मदहोश वो भी ,जिस रास्ते से तुम गुजरती हो ,
हूँ खुशनसीब मैं भी इतना ,की तुम मेरे वादे को बखूबी निभाती हो !!
प्रशांत"पिक्कू"
02/04/२०१०
02:33 AM
हो जाता हूँ मदहोश ,और मुझे तुम लुभाती हो !
कर देती हो कत्ल मेरा ,जब जुल्फे तुम लहराती हो ,
खोया सा रहता हूँ तेरी यादों में ,जब ओझल से तुम रहती हो !!
हो जाता हूँ बेजुबान मैं ,जब नकाब तुम हटाती हो ,
क्या बताऊँ क्या होता है हाल मेरा ,जब तुम हौले से मुस्काती हो !
ठुमक ठुमक के चलती हो जब , दुनिया को भी मचलाती हो ,
खुदा भी रहता हैरत में ,जब मंदिर से तुम गुजरती हो !!
खो जाता हूँ बेहशत मे मैं भी, जब हुस्न तुम दिखलाती हो ,
लाखों बनते दीवाने तेरे , जब नयनों की वार तुम चलाती हो !
हो जाते हैं मदहोश वो भी ,जिस रास्ते से तुम गुजरती हो ,
हूँ खुशनसीब मैं भी इतना ,की तुम मेरे वादे को बखूबी निभाती हो !!
प्रशांत"पिक्कू"
02/04/२०१०
02:33 AM
Thursday, March 18, 2010
मुझसे भी हसीन यहाँ पर कैसे !!
देख जरा वो फिर शरमायी ,
झुका के नज़रें यू मुस्कायी !
ठहर सी गयी दुनिया सारी ,
परियां भी देखने नभ से आयी !!
जैसे उसने नज़र उठायी ,
खुबसुरती की जाम छलकायी !
हो गये इक्कट्ठे तारे सारे ,
जुल्फें जैसे उसने फैलायी !!
परियां भी लगी है जलने उससे ,
मुझसे भी हसीन यहाँ पर कैसे !
हैं जालिम उनकी हर एक अदायें ,
जो पूरी दुनिया को है भाये !!
नखरें उसकी शरारत जैसी ,
प्यार उसका पानी जैसा !
बातें उसकी शक्कर जैसी ,
करती वो प्यार मुझसे ऐसा !!
प्रशांत"पिक्कू"
18th March 2010
00:39 AM
झुका के नज़रें यू मुस्कायी !
ठहर सी गयी दुनिया सारी ,
परियां भी देखने नभ से आयी !!
जैसे उसने नज़र उठायी ,
खुबसुरती की जाम छलकायी !
हो गये इक्कट्ठे तारे सारे ,
जुल्फें जैसे उसने फैलायी !!
परियां भी लगी है जलने उससे ,
मुझसे भी हसीन यहाँ पर कैसे !
हैं जालिम उनकी हर एक अदायें ,
जो पूरी दुनिया को है भाये !!
नखरें उसकी शरारत जैसी ,
प्यार उसका पानी जैसा !
बातें उसकी शक्कर जैसी ,
करती वो प्यार मुझसे ऐसा !!
प्रशांत"पिक्कू"
18th March 2010
00:39 AM
Monday, March 15, 2010
और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!
क्यूँ किया तुने ,प्यार मुझसे इतना ,
कोई ना करे ,किसी से भी ,कभी जितना !
जन्नत बना दिया है मेरी जिन्दगी को तू ,
हो तू ही मेरी हकीकत , तू ही हो अपना !!
ख्वाहिशे हैं लोगों की , फिर सुबह कब हो ,
अगर हो साथ हरदम तेरा , तो है ये मेरा कहना !
बीत ना जाये ये पल , छुट ना जाये ये सपना ,
और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!
रात की अंधेरों में भी दिखे तूं ,
इसमें भी चमकती है तेरे नयना !
चाँद भी छुपके बादलों में शर्मा जाये ,
जब मटकाती हो तुम अपनी नयना !!
कैसे बच पायेगा ये प्यार , उन बुरी निगाहों से ,
अगर बीत जाएगी ये रातें !
होगी इस पर फिर इर्श्याओं की बरसात ,
डगमगा जाएगी फिर ये प्यार की बातें !!
प्रशांत"पिक्कू"
१६थ मार्च २०१०
०१:०२ ऍम
कोई ना करे ,किसी से भी ,कभी जितना !
जन्नत बना दिया है मेरी जिन्दगी को तू ,
हो तू ही मेरी हकीकत , तू ही हो अपना !!
ख्वाहिशे हैं लोगों की , फिर सुबह कब हो ,
अगर हो साथ हरदम तेरा , तो है ये मेरा कहना !
बीत ना जाये ये पल , छुट ना जाये ये सपना ,
और इस रात की फिर कोई सुबह ना हो !!
रात की अंधेरों में भी दिखे तूं ,
इसमें भी चमकती है तेरे नयना !
चाँद भी छुपके बादलों में शर्मा जाये ,
जब मटकाती हो तुम अपनी नयना !!
कैसे बच पायेगा ये प्यार , उन बुरी निगाहों से ,
अगर बीत जाएगी ये रातें !
होगी इस पर फिर इर्श्याओं की बरसात ,
डगमगा जाएगी फिर ये प्यार की बातें !!
प्रशांत"पिक्कू"
१६थ मार्च २०१०
०१:०२ ऍम
Friday, March 12, 2010
ये दुनिया बड़ी निराली है !
कितनी प्यारी है ये दुनिया ,
ये दुनिया बड़ी निराली है !
य़ू तो था मैं पिछले जनम भी,
क्यूँ लगे इस बार ,कितनी खुशहाली है !!
ना है इर्ष्या , ना है द्वेष ,
कहाँ गये वो भाव भेद !
कितने खुश हैं लोग यहाँ के ,
है सबका बस एक भेष !!
मेरा भी दिल कहता यही है ,
कि छोड़ दू उन करतूतों को !
अपना लूं बस आदत ऐसी ,
जो भुला दे बस , भेद - भाव , राग -द्वेष की भूतों को !!
आओ मिलकर हम सभी ,
यही मार्ग अपनाते हैं !
थे द्वेष जो करते, उस जनम में हम ,
आओ साथ मिलकर, उसे अब भुलाते हैं !!
प्रशांत "पिक्कू"
13/03/2010
00:48 am
ये दुनिया बड़ी निराली है !
य़ू तो था मैं पिछले जनम भी,
क्यूँ लगे इस बार ,कितनी खुशहाली है !!
ना है इर्ष्या , ना है द्वेष ,
कहाँ गये वो भाव भेद !
कितने खुश हैं लोग यहाँ के ,
है सबका बस एक भेष !!
मेरा भी दिल कहता यही है ,
कि छोड़ दू उन करतूतों को !
अपना लूं बस आदत ऐसी ,
जो भुला दे बस , भेद - भाव , राग -द्वेष की भूतों को !!
आओ मिलकर हम सभी ,
यही मार्ग अपनाते हैं !
थे द्वेष जो करते, उस जनम में हम ,
आओ साथ मिलकर, उसे अब भुलाते हैं !!
प्रशांत "पिक्कू"
13/03/2010
00:48 am
Tuesday, February 23, 2010
सीमायें हैं क्या, कोई प्यार की ?
सीमायें हैं क्या, कोई प्यार की ?
क्यूँ बहती जाती है, ये सागरों की धार सी !
ना है बड़ा कोई बंधन, इस प्यार सा ,
होश उड़ा देता है ये अपने यार का !!
निश्छल सा हो प्यार जिसका ,
उतना ही करो सम्मान उसका !
अपना कर दो सब कुछ ,सिर्फ उसी का ,
जो सिर्फ करे तुमसे प्यार ऐसा !!
प्यार करो किसी से ऐसे ,
फुर्सत ना मिले तुमको उसी से !
दर्द बनो तूं , दवा बनो तूं ,
करते हो तुम प्यार जिससे !!
वो क्या है प्यार जिसमे ,
मुहब्बत की आजमाईशें हो !
करके देखो प्यार वैसा ,
जहाँ किसी दुसरे की ना गुन्जाईशें हो !!
देखो , फिर उस प्यार की खुशबू ,
कहाँ कहाँ तक महकेगी !
ठुकड़ा देगी दुनिया भी इक दिन ,
पर इसकी खुशबू साथ ना छोड़ेगी !!
प्रशांत"पिक्कू"
२४/०२/२०१०
०१:३२ AM
क्यूँ बहती जाती है, ये सागरों की धार सी !
ना है बड़ा कोई बंधन, इस प्यार सा ,
होश उड़ा देता है ये अपने यार का !!
निश्छल सा हो प्यार जिसका ,
उतना ही करो सम्मान उसका !
अपना कर दो सब कुछ ,सिर्फ उसी का ,
जो सिर्फ करे तुमसे प्यार ऐसा !!
प्यार करो किसी से ऐसे ,
फुर्सत ना मिले तुमको उसी से !
दर्द बनो तूं , दवा बनो तूं ,
करते हो तुम प्यार जिससे !!
वो क्या है प्यार जिसमे ,
मुहब्बत की आजमाईशें हो !
करके देखो प्यार वैसा ,
जहाँ किसी दुसरे की ना गुन्जाईशें हो !!
देखो , फिर उस प्यार की खुशबू ,
कहाँ कहाँ तक महकेगी !
ठुकड़ा देगी दुनिया भी इक दिन ,
पर इसकी खुशबू साथ ना छोड़ेगी !!
प्रशांत"पिक्कू"
२४/०२/२०१०
०१:३२ AM
Thursday, February 18, 2010
सभी हैं चाँद की तालाश में !!
आसान नहीं है जिन्दगी अपनी ,
जितना मैंने सोच रखा था !
सारे सपने बिखरे पड़े हैं ,
जो जो मैंने संजो रखा था !!
जब तक था उन चिड़ियों की तरह ,
जो है कैद में उन पिंजड़ो के !
उड़ जाऊंगा सोचा था ,खुली आकाश में ,
कर लूँगा सैर एक दिन उस चाँद के !!
जब निकला मैं कैद से बाहर ,
आया खुली आकाश में !
देखी भीड़ है उमड़ी सबो की ,
सभी हैं चाँद की तालाश में !!
ज्यों ज्यों करीब मैं चाँद के आया ,
चाँद भी मुझसे दूर भागता रहा !
जब थक कर मैं वापिस आया ,
अब उस चाँद का बुलावा आया !!
मेहनत कम नहीं है करनी ,
मंजिल अगर तलाशनी है !
सचेत हो जाओ अभी से यूँ तूं ,
जीवन अगर संवारनी है !!
प्रशांत"पिक्कू"
19/02/2010
00:27 AM
जितना मैंने सोच रखा था !
सारे सपने बिखरे पड़े हैं ,
जो जो मैंने संजो रखा था !!
जब तक था उन चिड़ियों की तरह ,
जो है कैद में उन पिंजड़ो के !
उड़ जाऊंगा सोचा था ,खुली आकाश में ,
कर लूँगा सैर एक दिन उस चाँद के !!
जब निकला मैं कैद से बाहर ,
आया खुली आकाश में !
देखी भीड़ है उमड़ी सबो की ,
सभी हैं चाँद की तालाश में !!
ज्यों ज्यों करीब मैं चाँद के आया ,
चाँद भी मुझसे दूर भागता रहा !
जब थक कर मैं वापिस आया ,
अब उस चाँद का बुलावा आया !!
मेहनत कम नहीं है करनी ,
मंजिल अगर तलाशनी है !
सचेत हो जाओ अभी से यूँ तूं ,
जीवन अगर संवारनी है !!
प्रशांत"पिक्कू"
19/02/2010
00:27 AM
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