Tuesday, December 1, 2009

क्यूँ हो रहा है बिछुड़न उन फूलों से !

था जाता भूल ,सब दर्द अपना,

जब सामने तुम सब आते थे !

नही बता सकता उन जज्बातों को मैं ,

साथ साथ जब हम सब होते थे !!

याद आएगी बहुत ही हमको ,

हमको बहुत रुलाएगी !

साथ जो तेरा छुट रहा है ,

पता नही ,कितना सताएगी !!

मिलके बिछुड़ना है दस्तूर दुनिया का ,

पर इस दस्तूर की भी बात निराली है !

क्यूँ हो रहा है बिछुरन उन फूलों से ,

जो फुलवारी हमारी सबसे प्यारी है !!

कुछ भी कह दूँ आप सबों को ,

पर वो आधी - अधूरी है !

बस गये हो दिल में आप इस कदर ,

आपको याद करना , साँसों की तरह जरुरी है !!

प्रशांत"पिक्कू"

21 Nov 2009

10:00 pm

जगा दे उनके दिल की आरजू को !

कोई उनको जरा उनकी अहमियत ,
मेरे दिल में है क्या ,वो बता दे !
जगा दे उनके दिल के आरजू को ,
और नाम उनपे मेरा सज़ा दे !!

ज्ञान का पल्लू ओढ़े खड़े हैं वो कोने में ,
संवारा है है उसने मुझको ऐसे !
जैसे की है कशीदाकारी किसी सोने में ,
लुढ़कते हुए सोने को उभारा है उसने ,
क्या चुकाऊं क़र्ज़ , है बनाया इस लायक जिसने !!

है बात कुछ ऐसी ,जो बयां नही कर सकता ,
नही है दम इन लफ़्ज़ों में जो उनकी अहमियत बता सकता !
सिखा है बहुत कुछ उनसे हमने , और उसने मुझे सिखाया है ,
कैसी सादगी है उनमे , जो निश्छल भाव से इस लायक मुझे बनाया है !!

जी करता लुटा दूँ सब कुछ उनके लिए ,
कर दूँ न्योछावर तन मन भी !
फ़िर भी कुछ न दे पाउँगा उनको ,
जो किया है , उन्होंने मेरे लिए !!

प्रशांत "पिक्कू"
12 Nov 2009
00:49 AM

हँसी है जिसकी फूलों जैसी !

दिल है जिसका साफ़ साफ़ ,
आँखे जिसकी गोल गोल !
जुल्फें जिनकी घनी घनी ,
कौन है वो बोल बोल !!

रंग है जिसका गोरा गोरा ,
बदन है जिसका भड़ा हुआ सा !
है हया जिनके होठों पे ,
बता वो कौन है भला !!

बातें जिसकी मीठी मीठी ,
स्वभाव जिनका मीठा सा !
क़द्र है करती सबों की जो ,
बता ! वो दिखती है कैसा !!

क्या अंदाज़ है , उनके अदाओं का ,
नजरें रखती झुकी हुयी सी !
सब करते तारीफें जिनकी ,
बता ! कहाँ है वो छुपी हुयी सी !!

हंसी है जिसकी फूलों जैसी ,
आँखे भी है झीलों जैसी !
डूब गये हैं इस झील में हम ,
पर पता नहीं क्यूँ दुरी है ये मिलो जैसी !!

सौंदर्य उनका परियों सा ,
है बंधन जिनसे सदियों सा !
रूप हैं उनके बल्ले बल्ले ,
क्या ,आई अब बात तेरे पल्ले !!

ये तारीफें है मेरी महबूबा की ,
जो की करा मैंने बहुत ही कम है !
जानना है और आगे भी कुछ तो ,
आओ, मिलो हमेशा तेरा welcome है !!

प्रशांत पिक्कू
29th Nov. 2009
01:16 AM

बंदिश में था समय के वो बारिश !

पहली बारिश थी ये पंजाब की ,
भींग चूका था पूरा बदन जनाब की !
दोस्तों का जो संग था इस बरसात में ,
क्या बताऊँ बात फिर वो शबाब की !!

प्यासा था मन और प्यासा बदन ,
गिरी बूंद जो शारीर पे तो मचल उठा तन मन !
नाचते गाते हुए किया बरसात का अभिनन्दन ,
किया दुआ बरिशों से , की अक्सर आओ मेरे आँगन !!

तेज़ हवा के साथ बरसात का पानी ,
छू रहा था बदन को और कर रहा था मनमानी !

बिजली सी कौंध रही थी अंग अंग में मेरे ,
जताया बारिश को की , आता बड़ा मजा जब होता हूँ संग तेरे!!

बंदिश में था समय के वो बारिश ,
वापिस जाने का भी समय हो चूका था !
किया आलिंगन बदन को मेरे ,
पर था क्या दिल में ,जाहिर नहीं वो कर पाया था !!

बोला मैंने ,कह दो बातें दिल खोलकर ,
रुको पास और मेरे ,न जाओ मुंह मोड़कर !
आवाज़ आई बूंदों से की , हैं हज़ार आशिक मेरे ,
फिर आउंगी तेरे पास कभी किसी को अकेले छोड़कर !!

प्रशांत पिक्कू
1st Dec.2009
02:00 am