Tuesday, December 1, 2009

जगा दे उनके दिल की आरजू को !

कोई उनको जरा उनकी अहमियत ,
मेरे दिल में है क्या ,वो बता दे !
जगा दे उनके दिल के आरजू को ,
और नाम उनपे मेरा सज़ा दे !!

ज्ञान का पल्लू ओढ़े खड़े हैं वो कोने में ,
संवारा है है उसने मुझको ऐसे !
जैसे की है कशीदाकारी किसी सोने में ,
लुढ़कते हुए सोने को उभारा है उसने ,
क्या चुकाऊं क़र्ज़ , है बनाया इस लायक जिसने !!

है बात कुछ ऐसी ,जो बयां नही कर सकता ,
नही है दम इन लफ़्ज़ों में जो उनकी अहमियत बता सकता !
सिखा है बहुत कुछ उनसे हमने , और उसने मुझे सिखाया है ,
कैसी सादगी है उनमे , जो निश्छल भाव से इस लायक मुझे बनाया है !!

जी करता लुटा दूँ सब कुछ उनके लिए ,
कर दूँ न्योछावर तन मन भी !
फ़िर भी कुछ न दे पाउँगा उनको ,
जो किया है , उन्होंने मेरे लिए !!

प्रशांत "पिक्कू"
12 Nov 2009
00:49 AM

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