Wednesday, April 29, 2009

क्या करूँ ऐ जिन्दगी ,तूं ही बता इस प्यार का !

जिन्दगी से भी प्यारा था वो मेरा ,
जिसे मैंने भुलाने की ठानी है !
पता नही यह हकीकत है ,
या मेरे दिल की मनमानी है !!
क्या करूँ ऐ जिन्दगी ,
तूं ही बता इस प्यार का !
दुनिया के साथ चलूँ या ,
फिर हो जाऊं अपने प्यार का !!
दिल कह रहा है साथ दूं अपने प्यार का ,
दिमाग ,दुनिया की पाठ पढाता है !
कोई कहता है यूँ ही जी लो जिन्दगी को ,
कभी कुछ नहीं साथ देता है !!
मगर मैं क्या करूँ ,अपने आप को ,
मैं तो प्यार का पुजारी हूँ !
कब तक कोसुं अपने भाग्य को ,
कि मैं अपने प्यार को पाने का अधिकारी हूँ !!
प्रशांत"पिक्कू"
29th April 2009
00:25AM

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