Wednesday, April 29, 2009

इन गर्म हवा के झोंको ने !

इन गर्म हवा के झोंको ने ,
मेरा जीना दुशवार किया !
कर दिया तहस नहस मेरे फैशन को ,
मेरे पे ऐसा वार किया !!

क्या करूँ , नहीं बचा सकता मैं खुद को ,
इन गर्म हवा के झोंको से !
मैं तो चुप हो बैठ जाऊं ,
पर पेट को कैसे बचाऊँ भूखों से !!

इन हवाओं में निकलना मेरी मजबूरी है ,
दिल के न कहने के बाद भी ये जरुरी है !
बहुत सारे तरीके हैं इस दुनिया में ,
लेकिन इनसे नहीं बच पाना मेरी मजबूरी है !!

कब तक झेलूँगा मैं इसको ,
क्या , जब तक है जीवन मेरा !
कितना कोशिश किया है मैंने ,
नहीं बच सकता इससे दामन मेरा !!

प्रशांत "पिक्कू"
29th April 2009
2:25 PM

1 comment:

  1. hmmmmmmmmmmmmmmmm its very nc app kavi bhi ho hume to pata hi nahn tha

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