इन गर्म हवा के झोंको ने ,
मेरा जीना दुशवार किया !
कर दिया तहस नहस मेरे फैशन को ,
मेरे पे ऐसा वार किया !!
क्या करूँ , नहीं बचा सकता मैं खुद को ,
इन गर्म हवा के झोंको से !
मैं तो चुप हो बैठ जाऊं ,
पर पेट को कैसे बचाऊँ भूखों से !!
इन हवाओं में निकलना मेरी मजबूरी है ,
दिल के न कहने के बाद भी ये जरुरी है !
बहुत सारे तरीके हैं इस दुनिया में ,
लेकिन इनसे नहीं बच पाना मेरी मजबूरी है !!
कब तक झेलूँगा मैं इसको ,
क्या , जब तक है जीवन मेरा !
कितना कोशिश किया है मैंने ,
नहीं बच सकता इससे दामन मेरा !!
प्रशांत "पिक्कू"
29th April 2009
2:25 PM
hmmmmmmmmmmmmmmmm its very nc app kavi bhi ho hume to pata hi nahn tha
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