तुने मुझसे यूँ कहा , अपने अन्दर झांक लो ,
झांक लो अपने खामियों को , और बेबश परेशानियों को !
कब तक ऐसे झाकुंगा मैं ,सिर्फ अपने ही अन्दर की बातों को ,
कभी मिले फुर्सत तो , आओ साथ बैठें , और समझे दिल की बातों को !!
दिल का कहना मानो तुम ,लब की खामोशी को बुन कर ,
कह डालो वो सारी बातें , जो है दिल में चुन चुन कर !
तेरा क्या कहना !तुम क्या जानोगी मेरे दिल की खामोशी को ,
आओ साथ चलें कुछ पल ,और जाने दुनिया के आगोशी को !!
समय बीत गया कुछ ऐसे ,अपने थे वो सपने हुये ,
और जो अब है सामने आया ,साथ में जीने दो उनको !!
उनका भी सपना है अपना,सपने में खो जाने दो ,
अपना सपना ,सपना हुआ ! उनके सपने को सच हो जाने दो !
फिर देखो ! किसी का सपना ,अगर दिल से पूरा हुआ ,
तो रह जाने दो इन खामोशी को ,और इन बातों को अधुरा हुआ !!
प्रशांत "पिक्कू"
28th April 2009
10:30 AM
No comments:
Post a Comment