Wednesday, June 17, 2009

गुस्सा उनका ,या अल्ला !

कितनी मासूम है वो ,
जो मेरे दिल में रहती है !
भोली सी है उनकी सूरत ,
जो मेरे नयनों में बसती है !!

भोली भाली छोड़ी है वो ,
दिल है उसका प्यारा सा !
पिघलने में भी समय ना लगता ,
अगर मैं रहूँ कुछ रूठा सा !!

रूठी नहीं कभी वो भी लेकिन ,
गुस्सा उनका ,या अल्ला !
कैसा गुस्सा था उनका तौबा तौबा ,
जिसमे की नहीं वो हल्ला गुल्ला !!

उनका चुप हो जाना ही था दंड मेरा ,
6 महीने बाद पूछे ,तूं कौन है मेरा !
ना देखी सुरत और शिहरत उनकी,
अब पूछ ना देना, क्या हाल था तेरा !!

उनका दिल तो है भोला भाला,
पिलाया उनको मैंने नयनों से प्याला !
पत्थर हुआ दिल ,जो था प्यारा सा ,
पिघला था वो पूरी तरह, और समय था वो न्यारा सा !!

मेरी सच्चाई और उनकी सादगी ने ,
फिर से रिश्ते में जान दिया !
चला है गाड़ी प्रीत की फिर से ,
मगर इसकी ब्रेक, इस बार मैंने फ़ेल है किया !!

ना होगी ब्रेक ,ना रुकेगी गाड़ी ,
होंगे इसमें बस हम दो सवारी !
अगर आयेंगे सामने इसके कोई ,
तो हो जायेगी खत्म उसकी कहानी !!

प्रशांत"पिक्कू"
04th june 2009
01:42 AM

2 comments:

  1. kya bat hai. bde doobe hue shayar lagte hai. doobe hi rhiye. nikaliyega mat n koi nikalna bhi chahe to use bhi dooba lena.

    ReplyDelete