आँखों की गुस्ताखी है ये ,
या दिल का आवारापन है !
नज़र नहीं हटती उस बला से ,
पता नहीं ये कैसा दीवानापन है !!
उनके नैनों की गहराई में भी ,
डूबना उतना आसान नहीं !
अगर डूब गए एक बार ,
तो फिर बचना भी आसान नहीं !!
आसान को अंजाम देना ,
मेरा भी ये शौक नहीं !
मुश्किलों से छुपना मेरा ,
कभी से ये काम नहीं !!
पता नहीं क्या हुआ ,इस दिल को ,
कब से यूँ कुछ बेचैन है !
शायद वो आ रही है करीब मेरे ,
आसमां ने दिया ये पैगाम है !!
प्रशांत"पिक्कू"
06th May2009
03:58 PM
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