Saturday, May 2, 2009

छुपके यूँ ही प्यार ये करता !

छुपके यूँ ही प्यार ये करता ,
खुद से ही ये डरता है !
नज़र न लग जाये उसे किसी की ,
दुनिया से ये कहता है !!

बन्दा है ये बलबान दिलों का ,
काम भी कुछ ऐसा करता है !
पैसे की उसको फिकर नहीं है ,
जो जी चाहे ,वो ही करता है !!

बाप का एकलौता ,मम्मी का प्यारा ,
वो घर में सबका दुलारा है !
दोस्ती में भी पैठ है उसकी ,
दोस्तों का भी वो न्यारा है !!

उसको ,इसकी गम नही है ,
कौन ,क्या कह जायेगा !
करता है वो दिल की बातें ,
पता नही क्या हो जायेगा !!

प्रशांत "पिक्कू"
2nd may2009
09:48 PM

2 comments:

  1. tumne jis andaaz me ye lines likhi.. wo dil ko chhu jane wala hai par .... in panktiyo ke liye mere pass thik thik alfaaj nahi mil rahe hain uske liye mujhe hindi ke pustkalay me jana padega .... bus abhi k liye ek hi line bahut hi nice hai... keep it up

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