Saturday, May 2, 2009

पर्यावरण की नजाकत को देखो !

पर्यावरण की नजाकत को देखो ,
क्या हसीन दुनिया है इनकी !
कभी जहाँ पर पेड़ भी ना थे ,
आज वहां फुलवारी है इनकी !!

दिल की आँखे खोल के देखो ,
इन बागों की हरियाली को !
कभी नृत्य कला, इनकी देखो ,
और ले आओ खुशिहाली को !!

दुनिया की सारी खुशियाँ ,
इनमे ही समायी है !
दूर रहकर ,तुने इनसे ,
अपना व्यर्थ समय ही गंवाई है !!

बाग बचाना ,कर्त्तव्य है हमारा ,
बागों के हम रखवाले हैं !
बाग़ है मेरी ,हम सबकी ,
हम बागों को चाहने वाले हैं !!

प्रशांत "पिक्कू"
2nd April 2009
01:08 AM

No comments:

Post a Comment