पर्यावरण की नजाकत को देखो ,
क्या हसीन दुनिया है इनकी !
कभी जहाँ पर पेड़ भी ना थे ,
आज वहां फुलवारी है इनकी !!
दिल की आँखे खोल के देखो ,
इन बागों की हरियाली को !
कभी नृत्य कला, इनकी देखो ,
और ले आओ खुशिहाली को !!
दुनिया की सारी खुशियाँ ,
इनमे ही समायी है !
दूर रहकर ,तुने इनसे ,
अपना व्यर्थ समय ही गंवाई है !!
बाग बचाना ,कर्त्तव्य है हमारा ,
बागों के हम रखवाले हैं !
बाग़ है मेरी ,हम सबकी ,
हम बागों को चाहने वाले हैं !!
प्रशांत "पिक्कू"
2nd April 2009
01:08 AM
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