Monday, May 18, 2009

चाहत है ,उस ऊँचाई को पाने की !

चाहत है ,उस ऊँचाई को पाने की ,
दुनिया से दो कदम आगे बढ़ जाने की !
क्या किया !अगर इस दुनिया के साथ रहा ,
सोच है मेरी एक नयी दुनिया बसाने की !!

दिल के हो हौसले बुलंद ,
तो सभी दरवाजे खुल जाते हैं !
हो जूनून पाने का कुछ तो ,
सुना है ,सारे ताले टूट जाते हैं !!

क्यूँ ना तोड़ दूं ,इन ताले को ,
जो मुझे आगे बढ़ने से रोक रहा है !
तोड़ के ताले ,निकलूँ सबसे आगे ,
कब से ये मेरा मन कह रहा है !!

भरोसा है मुझको मुझ पर ,
मैं आकाश की ऊंचाई को भी छू जाऊँगा !
थोड़ा साथ दे अगर दुनिया मुझको ,
मैं बहुत ही आगे निकल जाऊँगा !!

प्रशांत "पिक्कू"
11th May 2009
10:32 PM

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